दो युगल प्रेमी
दुनियां से बेखबर
गुम है एक दूजे के
प्रीत में ..
दोनों ही मदहोश
अंजान है खुद से
परवाह न ही किसी की
खोये हैं प्रीत के आगोश..
प्रेम की बारिश में
भींगते जब प्रेमी
दिल के कई परत
घूल जाते एक दूजे में ..
मधुर चाँदनी रातों में
खुल के निखरते
प्रीतम का प्यार ...
उज्ज्वल धवल चाँदनी
ले जाते उन्हें एक
अलौकिक संसार में ..
प्रीत का रंग इतना गहरा
एक बार जो चढ़े तो
कभी भी न उतरे
पैसो की खनक न इसे लुभाए
जाति पाति का भेद भाव न करे ..
प्रीत की पाकीजगी
सच्चे प्रेमी रखते बरकरार
कभी न करते नापाक
गर वो न भी मिलते तो
दूसरे जन्म तक करते इन्तजार
मरके भी जिन्दा रहता सच्चा प्रीत ..
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