Saturday 4 November 2017

मिलन

क्षितिज सिंदुरी हो उठा
धरती गगन कर रहे
मिलन की तैयारी ..
रवि बने हैं इनके गवाही
आह कितना अद्भुत दृश्य
सूरमई शाम भी दुआएँ दे रही
प्रकृति के इस अनुपम मिलन
सौन्दर्य की अनुठी है भेंट ।।
तारों के साथ चाँद भी
स्वागत में है रोशनी बिखेर
हर ओर खुशियों की बयार
खूबसूरत शमां दिलों को झूमा
प्रीत की आगोश में समा  
सम्मोहन की रंगों में नहा
अनगिनत ख्वाहिशों को पिरोकर
 प्रणय की बारिश कर रही  ।।
प्रकृति के इस अद्भुत रीति
सबके मन को कर लेती सम्मोहित ..
प्रयेसी के मिलन की आस सजाए
हर कोई उम्र भर करते इन्तजार ..
एक साथी के साथ की सबको जरूरी ।।
मन ही मन करते सब रब से विनती ..
बिन साथी के ये जग सुना
जिन्दगी के रास्ते लगते कठिन
कट न पाता जीवन सफर ..
तन्हा न कोई भी रहे..
एक अदद जीवन संगी बहुत जरूरी
मिलन के आस सबके हो पूरे ।।

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