Sunday 5 November 2017

भ्रूण हत्या

महरी के रोने से
तंद्रा भंग हुई मेरी
रो रो कर अपनीे
आप बीती वो सुना
 रही थी मुझसे ।।
दूसरे बिटिया के
जन्म लेते ही उसे
पति ने निकाल ही
दिया घर से ।।
अब क्या करें वो
कहाँ जाए ?
फरियाद करें किससे ।।
उसकी क्या है गलती ?
समझ में न आया उसे
आखिर बाप है वो कैसा ?
ममता ने भी न
पिघलाया उसे ।।
मन ही मन मैं
उसकी व्यथा सुन
आहत हो गई,
सोच में पड़ गई
देखकर उसकी दशा ।।
बेटा के चाह में स्त्री 
कितना दबाव सहती
कितनी तिरस्कृत होती
न जाने कितनी सहती यातनाऐं
ये एक औरत ही जानती ।।
समाज, परिवार ,पड़ोसी
सबके ताने से न होती विचलित
पर पति की उपेक्षा
न होता बर्दाश्त उसे ।।
इसलिए बिटिया पैदा
करने से वो ड़रती
और हो जाती शामिल
भ्रूण हत्या में औरतें ...
सिर्फ महरी की ही नहीं
ये आपबीती ।।
विकसित परिवार और शिक्षित
औरतें भी ऐसा करने को
विवश हो जाती ...

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