Sunday 19 November 2017

गम के भाई खुशी

दो सगे भाई
खुशी और गम
रहते दोनों ही
साथ हरदम
जब खुशियों की
 पींगे मन में
हिलकोरे लेने लगता  ..
अभिलाषाओं की
उड़ानों में उड़ते हम ..
जाने कहाँ से आते
ये दुख के बादल
  छुप के बैठे रहता
आ जाते रूलाने हमें ..
 गम की बारिश
ऐसी आती की
नयनों के आंसूँ
सैलाब बन खुशियों
को बहा ले जाती ..
लगता न बितेंगें
मुश्किल भरे दिन ..
पर सबके नियति
में होते सुख दुःख
आते हैं जरूर
गम के बाद खुशी ..

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