विधा- सरसी छंद आधारित गीत
नूतन वस्त्र पहनकर आता , मनुज देह हर बार ।
आत्मा मुक्त जीवन मरण से , नश्वर ये संसार ।
⚘⚘(1 )⚘⚘
मरती आत्मा कभी नहीं है ,,, बदल लेती शरीर
कर्मों के अनुरुप होती है,,,, भाग्य की भी लकीर
हर योनियों का हिसाब ईश,,,करे सबका जरूर
किए कर्म जिसने जैसे फल,,, देते बनकर क्रूर
ओज खोया शरीर, छोड़ने ,,, को जग हो तैयार
आत्मा मुक्त जीवन मरण से,,, नश्वर ये संसार
⚘⚘(2)⚘⚘
बुरे कर्म करके डरा नहीं , सोचा नहीं अंजाम
आत्मा ने तुझको समझाया, ली न फिर भी विराम
कितने ही किए हेरा फेरी,,,, कलुषित तेरे सोच
घायल किया दिलों को कितने ,,वचन में न था लोच
मिल जाते हैं करनी के फल,,,, बोते हैं जो खार
आत्मा मुक्त जीवन मरण से ,,,, नश्वर ये संसार
⚘⚘(3)⚘⚘
कर्मों के अनुरुप लिए जन्म ,,,मनुज हुए देवेष
सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग,,, सब युग हुए विशेष
सतयुग सबसे पावन निर्मल ,,,, करते देव निवास
सत्य व शांति की बोल बाला ,,, करे प्रेम परिहास
त्रेता में था तमस आ घेरा ,,,, द्वापर पंच विकार
आत्मा मुक्त जन्म मरण से,,,, नश्वर ये संसार
⚘⚘(4 )⚘⚘
कलयुग के चरण पड़े जैसे , घेर लिए अति पाप
मनुजों ने पहचान मिटाया , सबके सब हैं बाप
योग तप करना हुआ मुश्किल, जपो नाम भगवान
भक्ति भाव से तू पूज प्रभु को , मिलता है वरदान
माया में नश्वर शरीर के ,,,, पड़ना है बेकार
आत्मा मुक्त जीवन मरण से,,,नश्वर ये संसार
⚘⚘(5)⚘⚘
जब तक संभलता मनुष्य आ ,,, जाता यम का दूत
आत्मा मुक्त चले ही जाते ,,,,छोड़ चीर निंद्रा में धूत
अब तक तो नाम शोहरत ही ,, थी केवल पहचान
बन गया है मिट्टी का शरीर ,,, छुट गए जब ही प्राण
मिट्टी के तन का यही मोल , कर लो सब स्वीकार
आत्मा मुक्त जीवन मरण से,,, नश्वर ये संसार