Tuesday 20 November 2018

धर्म (मुक्तक)

बताकर धर्म का पैगम्बर करते जुर्म संग हैं उनके
बनाकर नारी को खिलौना जीवन से खेलते उनके
दस्तूर नहीं किसी कौम का, लिखा है ग्रंथ में कहाँ
बीच राह में छोड़ के अकेले,दिल फिर तोड़ते उनके

धर्म की आड़ में छुप के जो मानवता पे वार करते हैं
लेके पत्थर निहत्थे लाचार के सिर वो फोड़ा करते हैं
नापाक इरादे से इन्सानियत को क्यों कर करते रूसवा
खुदा से बंदगी कैसी जो होली खून की खेला करते हैं

अंधविश्वास के आड़ में धर्म को बनाते हैं हथियार
हद से ज्यादा औरतों पे रखते बंदिशों के पहरेदार
औरतें कठपुतली नहीं वो भी जीती गाती है इन्सान
उन्हें अवसर दो फैला दो शिक्षा व ज्ञान के उजियार

  बाहर निकाल धर्म के रूढ़िवादी पुराने खयालात
  बेटा ही जल दाता भूला दो, कमजोर मानसिकता
  प्यार करो दोनों को बिटिया भी देगी सुख सेवा से
  गौरवान्वित करेगी वो बनके तेजस्विनी महाश्वेता

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