विधा- कुन्डलियां
बने दो दिल एक जान ,,है जन्मों का साथ 1.
मुदित मन हो रहा हर्षित ,,लिए हाथों में हाथ
लिए हाथों में हाथ,,,,,सब प्रेम का दीवाना
तन मन जलाते क्यों ,लिखा नसीब से मिलना
इश्क तो इबादत है,,,, पूज ले दिल से अपने
दिल में तुम हो बसे , हर जनम प्रियतम बने
प्रेम प्रतिक्षा नैनन में ,,, खोल हृदय के पाट 2.
जिया डोले धड़क धडक,,देखे पी के बाट
देखे पी के बाट,,, मनवा में अगन लगाय
तड़प रहे बिन सजन , विरह शूल सहा न जाय
मचल रहा अरमान , पिघल रहा उर बन मोम
दो जां एक आत्मा, हर धड़कन में बस प्रेम
कंचन सा बदन तेरा ,छाया कितना नूर
मलय सी खुशबू तेरा,,,,बढ़ाते हैं सुरूर
बढ़ाते हैं सुरूर ,,, सुवासित हुआ जिन्दगी
छाया प्रेम का नशा ,,प्रीत की है प्यास जगी
मदमाती पुरवाई ,, मन को बहकाती सजन
रूप सलोना लगे ,लुभा रहा काया कंचन
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