Thursday 22 November 2018

आया चुनाव

विधा- दोहा/गीतिका छंद

 छुट रहे पसीने अभी , आ गए अब चुनाव ।
  फेंक रहे नेता गली,गली झूठ का दाव   ।

21 2  2         212 2        21 2 2      212
खोलकर उर मत दिया था, दुख हमारी कब सुनी ।
जीत के तुम घमंड में अब   ,कर न हम को अनसुनी
बेचकर तू शर्म हया ना,,,,डींग का पढ़ जूमला ।
सोचते ठग ले हमें वो ,,,,,,,फिर रहे वो फूसला ।
 
जो सिंहासन है दिलाया , भूलने कल थे लगे ।
पा गए ज्यों तुम सत्ता तो ,,,,, टालने क्यों थे लगे ।
सोच के अब तो सभी जन,वोट अब कर ने लगे
वोट देकर शपथ ले ली    , भाव वो खाने लगे ।

छोड़ खेती झूठ की अब ,,,, बर गलाना छोडिए
बाँटना अब तो सभी को ,,,,,आज से ही छोड़िए
लोभ का झासा न देकर ,,,,काम उत्तम कीजिए
काम  ही पहचान नेता ,,,,,कुछ नया तो कीजिए

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