Wednesday 21 November 2018

गूढ सीख

विधा- पदपालाकुलक छंद

तज  कर मान अभिमान को तू   ।
बन जा रे  मनुज  इंसान  तू   ।
तन कर्म भट्टी में तपा ले  ।
मन को खरा सोना बना ले   ।

जीवन पथ मुश्किलों से भरे
दृढ़ निश्चय से हल मिला करे
कठिन तपों से ही मुक्ति मिले
ब जलधि मंथन से,अमृत मिले

चल तू कर्तव्यों के राह पे   ।
चाहे कंटक बिछे हो पथ पे   ।
हो न तेरा साथी तभी भी ।
तू नेह दीप ले चल तब भी ।

ये जीवन है बहती दरिया  ।
इस के भगवन ही खैवैया    ।
वो ही करे पार दरिया के   ।
 जो  ठान लेते  तैरने के    ।
 
बिन कोशिश मेवा नहीं मिले ।
फल कठिन परिश्रम से ही मिले  ।
ये ही गूढ़ सीख जीवन का    ।
है क्रोध द्वेष बेमतलब का     ।

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