विधा- सरसी छंद आधारित गीत
शमां न जाने तू क्यों जलती , किसे कर रही याद
तिल तिल कर तू मरती रहती, है किसका अवसाद
तन मन अपना जला रही है , क्यों हो गम में बोल
हिया में तेरे कौन दुख है , राज जिया की खोल
रंक के घर व राजमहल करे , रौशन एक समान
तिमिर हटाकर रैना की तुम , देती हो वरदान
प्रतिक्षा में अभिसार की करो , न तुम वक्त बरवाद
शमां न जाने तू क्यों जलती, कर रही किसे याद 1.
हूँ परवाना पागल, बरसों,,, किया है इन्तजार
घायल हुआ सुधी बिसराया, दिल तुझ पे गया हार
मिट जाए हस्ती फिर भी टुटे , न मिलन की अब आस
दिवाना हूँ दीदार के लिए, मिल लो तू बस काश
तेरे बिना व्यर्थ है जीवन ,,,,, हूँ तेरा दिलशाद
शमां न जाने तू क्यों जलती, कर रही किसे याद 2.
रुप सुहाना देख के तेरा,,,, गवां लिया है होश
आलिंगन को मन लुभाया जब , आ गया बहुत जोश
चाहे जल जाए मेरे पंख,,,, करूँगा तुम्हें प्यार
सदियों से हूँ दिवाना, तुझ ,,,पे जान न्योछावर
हम तुम हैं जन्मों के साथी, अद्भुत है ये प्रमाद
शमां न जाने तू क्यों जलती, कर रही किसे याद 3.
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