Tuesday 20 October 2020

भवानी की महिमा

विधा - शक्ति छंद / मात्रिक छंद
यमाता यमाता यमाता लगा
122 122 122  12

शुभे गेह तेरी चरण चँद्रिका ।
तुम्हारी सदा जय करूँ अंबिका ।
सुशोभित दिखे शेर माँ संग में ।
सदाशिव विराजे सदा संग में ।

छटा शाम्भवी देख नैना ठगे ।
अलौकिक जया दिव्य मूरत लगे।।
निहारूँ सदा चँद्रघंटा तुम्हें ।
गहो वैष्णवी भक्ति उर में हमें ।।

गले में सदा मुण्ड माला सजे ।
धरे चँद्र सिर शौर्य डंका बजे ।।
सजी केतकी कर कमंडल लिए।
धरा दैत्य से मुक्ति तुमने दिए ।।

भुजा शस्त्र तलवार तुम धारती ।
असुर को तुम्हीं मातु संहारती ।।
महाशक्ति अवतार फिर से धरो ।
सुवर्णा सकल कष्ट सबके हरो ।।

सुनैना  जगत को तुम्हीं पालती ।
शुभांगी वरद हस्त ही माँगती ।।
कृपा हो  सताक्षी करूँ वंदना ।
मृगाक्षी  हरो मम हिया  रंजना ।।

सकल दैत्य मारे अपर्णा तुम्हीं ।
महिषमर्दिनी चंडिका माँ तुम्हीं।।
मरे मधु और कैटभ दी जग खुशी
जया और विजया सखी मुख हँसी ।।

बजी शंख घंटी करूँ आरती ।
सभी भक्त को माँ उमा तारती ।
सुधा नेह जग में सदा बाँटती ।
भवानी कृपा से विपद भागती।।

उषा झा स्वरचित
देहरादून उत्तराखंड

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