Wednesday 17 May 2023

ख्वाहिशें मृग मरीचिका

परछाईंयों के संग हम
भाग भाग के थक गये
हरदम साथ रहके भी
पकड़ में न आती कभी ..
ख्वाहिशें मृगमिरीचिका ।

आभास कराती भ्रम का..
सच से वास्ता न होता कोई
दिवा स्वप्न कोरे नयनों का ।
जैसे होता नहीं वजूद कोई
जल के नन्हें बुलबुलों का..
वन के वो फल जो दिखता
अति सुंदर, स्वाद बेकार का 

अद्भुत दृश्य! नभ रंगों से भरा
क्षितिज में मिल रहे गगन धरा
पर होता वहाँ केवल शून्याकार
नयनों को लगता है सुहावना
पास जाओ तो कोरी कल्पना
भ्रम भी है उम्मीद बहुतों का

मोतियों का होता जैसा चमक
ख्वाब लगते हमेशा मनमोहक ..
फलक पर रखी ख्वाहिशें
जमीन पे उतरते ही दम तोड़ देती ..।
हकीकत की जमीं पे देखे ख्वाब
कभी कहाँ बिखरता ठोकरों से  ..।
सत्य  की राह भले कठिन
देना पड़ता सबको इम्तिहान
ख्वाब सच बने,पग हो जमीं पर
सच्चे सपने अवश्य होते पूरे
चाशनी में डूबे झूठ लगे सुंदर
सच की जीत अग्नि परीक्षा देकर ....।

प्रो उषा झा रेणु 
देहरादून@

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