Tuesday 12 June 2018

फैसला

शालू को सासु माँ और ताई जी हमेशा टोकती गुड़िया अब आठ साल की हो गई , अकेली बच्ची है उसके साथ खेलने के लिए कोई तो चाहिए.. "न जाने क्यों दूसरे बच्चे के बारे में नहीं  सोचते तुम लोग..! एकाकीपन का शिकार हो जाती,  ठीक से विकास भी नहीं हो पाता अकेली बच्ची का...!"

शालू ये सब सुन सुन के पक गई .."ये सब कहने की बात है !
आखिर सासु माँ को साफ साफ सुना ही डाली वो ...।"

"शालू सोचती, इस मंहगाई के दौर में  एक ही बच्चे का परवरिश अच्छे से हो जाएँ वो ही बहुत है ...। आजकल स्कूल की फीस , ट्यूशन व कोचिंग के खर्चे इतनी अधिक है कि, दो
तीन बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाना मुमकिन नहीं....।"

मन ही मन वो उधेड़बुन में रहती, सोचती मुझे इस बारे में पति से विचार विमर्श करना चाहिए या नहीं, कहीं वो भड़क न उठे!
हिम्मत करके एक दिन अपने मन की बात उसने पति से कहा,

"ऐ जी  क्यों न हम फैमिली प्लानिंग करवा ले?...एक ही बच्ची रहेगी तो, उसको बेहेतर शिक्षा, साधन व सुविधा मुहैया करा सकते हैं ...हमारा सारा ध्यान भी उसी पे केंद्रित रहेगा ..!"

 पति हैरत से उसकी तरफ देखने लगा ..फिर बोला माँ को क्या कहेंगे? कहीं वो नाराज न हो जाए..!
शालू ने पति से कहा.. माँ धीरे धीरे समझ जाएगी ।
"एक ही बच्चा चाँद के समान हो तो हजारों तारे की क्या आवश्यकता ..?"

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