Tuesday 5 June 2018

गहरे रंग

पापा के निधन के बाद सबने कहा,तेरहवीं तक चटकीले रंगों के कपड़े कोई भी न पहने इसका ख्याल रखना, खासकर माँ के कपड़े हल्के रंग के होने चाहिए । माँ की अलमीरा में ढूंढने से भी हल्के रंगों की कोई साड़ी नहीं मिली। अंत में मेंहदी, फिरोजी ग्रीन कलर की साड़ियों के जोड़े उनके पहनने के लिए निकाल लिये गये ।

माँ मेरी बहुत गोरी है तो पापा हमेशा गहरे रंग की साड़ियाँ ही उन्हें लाके देते थे । मायके से भी उनकी भाभी लोग भी
चटक रंगों की साड़ियाँ ही दिया करती थी । माँ कभी भूले से हल्के रंग पहन भी लेती, तो हम सब उन्हें टोक ही दिया करते थे । हम कहते , "माँ आप पर ये रंग नहीं फबता है ।"

उनके बाल जब पकने लगे तो पापा उन्हें तरह तरह के डाय लाकर देते थे पर बाल में लगाने पर उनको एलर्जी हो जाती थी। बाद में डॉ ने डाय लगाने से सख्त मना कर दिया था।
फिर भी मैंने मेंहदी और काॅफी चायपत्ती को पानी में घोल 
कर माँ के बालों में लगा दिया ।माँ के उपर सुनहले बाल बहुत फब रहे  थे ..यह देख कर पापा बहुत खुश हुए । उनकी भाभी ( मेरी मामी ) माँ को देखकर जोर - जोर से हँसने लगी ।  माँ से बोली ," दीदी ये घोड़े जैसे बाल क्यों रंगवा लिए ?" पापा यह  सुनकर  बहुत नाराज हो गए ।उन्होंने मामी से कहा ,"गोल्डन कलर की खूबसूरती का वर्णन सभी पोयट अपनी कविताओं में करते आ रहे हैं । अंग्रेजी विषय के विद्वान होने के नाते विलियम शेक्सपियर को पढने के बाद पता चला है कि सुनहरे बाल कवियों को कितने लुभाते हैं.... ।"

आज पापा माँ के ऐसे रूप देख कितने दुखी हो रहें होंगे ये सोच के मेरे नेत्रों से अश्रुधारा बहने लगी ....।

तेरहवीं की लिस्ट बनाई जा रही थी फिर पंडित ने कहा,  "एक जोड़े सफेद साड़ी भी ले लेना माता जी के लिए ।"

मैं  वहीं सब सुन रही थी  तुरंत ही मैंने टोका , "ये दकियानुसी बातें हैं मेरी माँ सफेद साड़ी नहीं पहनेगी .... !"

प्रो उषा झा रेणु 

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