Tuesday 20 February 2018

खोये हुए लम्हें

वक्त के किताब में
गुजरे हुए वो पल
मीठी कसक यादों के
सिमटे उन पन्नों में ..
गर पलटने लगी उसे 
लम्हें लगे मुस्कुराने ..

 उन लम्हों की छुवन
वो महकती खुशबू
किताबों के पन्नों में,
समायी सी लगती
अब भी वो महक
ताजा है मेरे जेहन में ..

वो मीठी चाशनी में
डूबे शब्दों की तिश्नगी
नस्तर सी चुभोती ...
दिल के कोने में पड़े
एहसास की नमी को
 कुरेदकर जख्म की
 बीज फिर बोने लगी ..

शब्दों के एक एक
अक्षर लगे चिढ़ाने
भरी है तीरगी दिलों में ..
अब मंजर रोशनी के
 दूर हैं जाने कितने
 सुहानी यादें तसव्वुर में ..

जिन्दगी की किताब हम
यूँ ही पलटते ही रह जाते
भूली बिसरी यादों के पन्ने
हो गए हैं तितर बितर ..
ढूंढने चली हूँ आज मैं
वो खोये हुए लम्हें
 जो वक्त के थपेड़ों में
 हो गए हैं मुझसे गुम..

 

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