Wednesday 16 May 2018

प्रीत की छाँव

हम तो वो बेल हैं जो अपने बरगद
पिया से जीवन भर ऐसे जुड़ गई
खुद का अस्तित्व ही नहीं रहा..
अपनी हर सासें उनपे ही वार दिया  ..

बिन कहे ही हर बात समझते हैं
एक दूजे के दिल में धड़कते हैं हम ..
एक दूजे के बिन अधूरे हैं
एक दूजे के पूरक हैं हम ..
एक दूजे में ही घुल गए ऐसे
मिश्री पानी के जैसे हैं हम

सदियों तक हमारी मिलन गाथा
सब यूँ ही गुनगुनाते रहे ..
प्रियतम के स्नेह के छाँव में
हमारी जिन्दगी गुजरते रहे ..

हर जन्म के वास्ते मैंने तुम्हें
मांगा है रब से ..
कोई आँधी या तुफान हमें
कभी कर न सके जुदा ..

वट सावित्री व्रत की बहुत शुभकामनाएँ सभी को 🌷🌷

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