Wednesday 30 May 2018

सूरज छिपने तक ..*आखिरी भेंट *

तड़के सुबह ही पापा इस दुनिया को छोड़ कर न जाने किस अज्ञात दुनिया को प्रस्थान कर गए । जिसने ही सुना, आश्चर्यचकित रह गए । चारों ओर हाहाकार मच गया, सहसा किसी को विश्वास ही नहीं हो पा रहा था । कोई कहते, कितने भले चंगे थे, बेटी के पास जब जा रहे थे प्रिन्सिपल साहब को मैंने देखा था ..वो तो अभी जवान ही दिख रहे थे !
सचमुच मैं एक दिन पहले ही उनको स्टेशन से लाई थी, कितने स्वस्थ दिख रहे थे । रास्ते में हिमालया का तुलसी अर्क, जिसका सेवन हमेशा वो करते थे ..खरीदे । घर आके प्रेम पूर्वक खाना खाए । रात में अच्छी नींद भी आयी उन्हें । सुबह वाक पे गए ।
सुबह के नास्ते और दोपहर के खाने तक भान ही नहीं हुआ उनके अस्वस्थ होने का । अंतिम बार उनके लिए खाना बना रही, आखिरी भेंट हो रही है उनसे ये एहसास ही नहीं हुआ .. तो क्या सचमुच वो मुझसे ही मिलने आए थे? सब कहते, तू इतनी दूर घर से रहती हो, कभी माँ पापा को कुछ होगा तो देख भी नहीं पाओगी ..
विधि का विधान देखिए, वो ही मेरे पास इतने दूर से चलके आ गए !!
मैं पापा के शरीर पर चंदन लगाते हुए फूट फूटकर रो रही थी ।खुद को दोष दे रही थी.. पापा मम्मी मुझसे मिलने न आते तो शायद उन्हें कुछ नहीं होता । क्यों नियति ने इतना बड़ा मजाक किया ? सोच सोच के पागल सी हो रही थी..सबको एक मौके तो मिलते ही है, पर ईश्वर ने हम सबको पापा के लिए कुछ करने का वक्त ही नहीं दिया ..
वो तो अपने सारे बच्चों को डॉ ही बनाना चाहते थे, दामाद भी डॉ ही लाए ..फिर क्यों नहीं किसी को मौका दिए, अपने लिए कुछ करने को!
कैसे कैसे सवाल हृदय को छलनी कर रहे थे, पर इसका जवाब हमें कौन देता!
आधे घंटे के अंदर पापा हम सबको छोड़ कर हमेशा के लिए चले गए । माँ को संभालना बहुत मुश्किल हो रहा था   ।
सबसे कहती कितने अच्छे थे ग्यारह बजे तक तो बातचीत किए मेरे संग, साढ़े बारह बजे गैस का प्रोब्लेम हुआ तुम लोग हाॅस्पिटल से इंजेक्शन लगाने ले गए..फिर सही सलामत लौटाके क्यों नहीं लाए उनको ?मुझे भी साथ लेके नहीं गए.. तुम सबने मुझे कुछ भी क्यों नहीं बताया?
किसी के पास कोई जवाब नहीं था, उनके आगे सब अपराधी के तरह सिर झुका रखे थे..
पापा को भाभी और मेरे पति लेके हाॅस्पिटल गए, क्योंकि वो डाॅ थे। माँ और हम सब घर में रह गए । वो बात तक कर रहे थे । घर लाने की बातचीत चल रही थी। चूँकि ई सी जी में हार्ट प्रोब्लेम सामने आ चुका था, इसलिए डाॅ के राय से हाॅस्पिटल में भर्ती कराना उचित लगा । अभी रूम में ले जाने की तैयारी हो ही रही थी कि पापा को जोरदार अटैक हुआ और चंद पल में सब कुछ खत्म!
खैर डॉ ने कहा सिभियर एम आई एटैक पड़ा, जिसमें उनको बचाने का पाँच मिनट का मौका नहीं मिला ..
खैर होनी तो होके रहता है, भगवान कभी अपने पे आरोप कहाँ लेते हैं ! डॉ पे ही हमसब अपनी अपनी भड़ास निकालने लगे ।
धीरे धीरे सभी रिश्तेदार भी पहुँच गए । आखिरी संस्कार की तैयारी होने लगी ।सहसा पंडित जी ने कहा सूरज छिपने वाले हैं पार्थिव शरीर को उठाने में अब देर न करो !
हम सभी विह्वल हो गए, भाई ने कांधा देके पापा को जैसे ही उठाया माँ के हृदय विदारक विलाप से सबका कलेजा दहल गया..

No comments:

Post a Comment