काफिया- आऊ
रदीफ- किस तरह
अपना प्यार तुमको जताऊ किस तरह
तेरे दामन में सर छुपाऊँ किस तरह
निंदियाँ न जाने गयी है कौन से देश
पलकों पे ख्वाब सजाऊँ किस तरह
मुझसे न जाने क्यो हैं वो खफा खफा
रूठे दिलबर को मनाऊँ किस तरह
तेरे बिन मेरे जीवन का क्या है अस्तित्व
तू रहते न रूबरू तुझे भूलाऊँ किस तरह
जाने क्यों तुम सा कोई भाता नहीं
किसी को दिल में बसाऊँ किस तरह
एक ही बार ये दिल किसी पे हारता है
प्रीत की रीत तुन्हें सिखलाऊँ किस तरह
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