Monday 20 August 2018

जीवन यात्रा

बोलती तस्वीर
विधा- कविता
दिन- सोमवार 
दिनांक- 20.08.2018

मिलना है जब पंचतत्व में क्यों माया के फेर में हैं सब
विमुख न हो कोई कर्म पथ से,जीवन यात्रा तब सफल

दीए उम्मीद के जला
लक्ष्य की चाहत में
राहों से कभी न भटक
जला न अपना दिल
पाँव हो जाए घायल
निकाल राहों से काँटें
कदम बढ़ा रख हौसला
भविष्य होगा उज्ज्वल
चीर दो उर की व्यथा
गम के बादलों से निकल
पुकार उठेगी मंजिलें

विमुख न हो कोई कर्म पथ से, जीवन यात्रा तब सफल

लेके आए हाथ खाली
एक दिन मुट्ठी को फैला
पंचतत्व में होगें विलीन
नहीं कोई अजर अमर
कर्म सिर्फ परहित करें
यादें मन मस्तिष्क में रहे
मिट्टी के तन का न मोल
रह जाते हैं रिश्ते नाते धरे
जाना है सबको अकेले
दया धर्म ही सबका मूल
 ये जीवन है अनमोल

विमुख न हो कोई कर्म पथ से ,जीवन यात्रा तब सफल

धूप में जो तन तपाया
दीन दुखियों के सेवा में
अपने दिन रैन बिताया
मखमली गलीचे छोड़
काँटो को सेज बनाया
राग अनुराग, लोभ द्वेश
स्वार्थ जिसे न सताया
उस तपस्वी को ही ईश
ले जाते विमान में स्वयं
स्वर्ग द्वार रहता खुला ..

मिलना है जब पंचतत्व में, क्यों माया के फेर में हैं सब
विमुख न हो कोई कर्म पथ से, जीवन यात्रा तब सफल

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