Friday 5 April 2019

बीते यौवन

इस यौवन की यही कहानी
मन में आग नयन में पानी
प्रणय भाव में नयन निमज्जित
लगता सब कुछ हुआ विसर्जित

भींगे मन में प्रेम भरा है
मानस उपवन हरा भरा है
प्रिय की है यह चूनर धानी
मन में आग नयन में पानी

जो है दूर , याद आया है
इन्द्रधनुष मन में छाया है
हर सांस में प्रिय की वाणी
इस यौवन की यही कहानी

शैलभ जले जब दीपक जलता
प्रेम अग्नि से जीवन मिलता
प्रणय यान में घूंमूं क्षण क्षण
अर्पित प्रिय को है  कण कण

मैं भिक्षुक सी प्रिय है दानी
इस यौवन की यही कहानी

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