पतझड़ में यूँ उदास न हो
जी को यूँ न बेजार करो
कुछ पल का ये मौसम है
आके यूँ चला जाएगा
मौसम का परिवर्तन निश्चित
ही होता ..
पतझड़ में यूँ उदास न हो ..
दिल को सदाऐं देने आते
ये बे मौसम का पतझड
खुशियों को बिखराके
उड़ा ले जाते ख्वाबों को
पर साख पर पत्ते फिर से आते ..
पतझड में यूँ उदास न हो ..
पौधों में नए कोंपले आ जाते
बागों में कलियाँ फिर से खिलती
भँवरे के गूँजंन से बगिया गूँजती
मोगरे की खुशबू जहां में छा जाती
बहारों का मौसम फिर से आता
पतझड में यूँ उदास न हो ..
मौसम का बदलना है लाजिमी
जीवन की नियति बदल न सकती
जिस पर जोर चले न अपना ..
फिर क्यों न दें अपनी स्वीकारोक्ति ..
पतझड में यूँ उदास न हो ..
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