Thursday 19 April 2018

निष्ठुर प्रहार वक्त का (लघु कथा)

   
भूख और लाचारी से कितना बेबस हो जाता इंसान ,ये रामदीन से अधिक कौन जानता होगा?
बारिश के अभाव में इस साल फसलें नहीं हुई । बच्चे को भूख से तड़पते देख उसका कलेजा फट गया । वो पैसे के इन्तजाम में
साहूकार से उधार लेने चला गया । उधार के रूपये पाकर उसने खाने पीने की सामग्री ले आया ।कुछ दिनों के लिए  घर के खर्चों का इनतजाम हो गया ..

    इधर साहुकार ने उसे रूपये तीन महीने के अंदर  लौटाने के शर्त पे ही दिया था । रामदीन ने सोचा अगले  फसल होने पे कर्ज उतार दूँगा ।
दैवीय संजोग ऐसा हुआ कि सारे किसानों के खेती बाढ़ में नष्ट हो गयी ।..
साहुकार रामदीन को रूपये के लिए तंग करने लगा ..कर्ज नहीं लौटाने पर पुलिस केस कर उसे हवालात पहुँचा दिया ..
छोटे छोटे बच्चों और बीबी के आँसू देख जेल में सलाखों के पीछे से कातर नैनों से वो वक्त के बेरहम प्रहार को देख रहा था ...

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