आशा की पढ़ाई ट्रेनिंग काॅलेज में कुछ ठीक न चल पा रही थी ,कारण हर वीकएण्ड में घर भाग जाती और एक दो दिन छुट्टियां भी मार देती ।परंतु कक्षा में शिक्षकों ने सिलेबस समाप्त कर, रिवीजन भी करवा दिया था ।
आशा सोचती अब मन से पढुँगी..घर न जाऊँगी पर अपनी छोटी बच्ची को देखने का मोह न छोड़ पाती ..
घर भागने के चक्कर में उसका अटेन्डेन्स भी पूरे नहीं हुए ।टीचर बहुत नाराज थे उसपर, साफ तौर पर उन्होंने कह दिया जिसका अटेन्डेन्स पूरा नहीं होगा उसे परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा ।
आशा अपने होमवर्क चेक करवाने क्लास टिचर के पास गई ..
वहां और भी शिक्षिकाएँ थी ,सब मिलके आशा को समझाने लगी ..बोली क्यों जानबूझकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रही ..बेकार में रोक दी जाओगी । साल बरबाद हो जायेगा ।
अपने मन पर बस कर लो , कुछ दिनों की बात है ...
बाद में अपनी बच्ची से बाकी दिनों का लाड़ कर लेना ।
आशा सोचनीय मुद्रा में स्टाफ रूम से धीमी गति से निकल रही थी , सहसा उसके कदम ठिठक गए .. क्लास टीचर मीरा मैम और दूसरे टीचर आपस में बोल रहे थे.. ये लड़की पढ़ने में बहुत ही होशियार है । पता नहीं इसके माता पिता को इतनी जल्दी शादी करने की क्या सूझी ?
पढ़ाई में ये ध्यान दे तो परीक्षा में प्रथम स्थान जरूर लाएगी ..
मन ही मन आशा ने खुद से एक प्रण लिया ..
परीक्षा में वो टापॅ की ..
Friday 6 April 2018
उत्तरदायित्व का ज्ञान (प्रण)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment