Monday 17 February 2020

उन बिन नहीं नैनों की ज्योति

1222,    1222,  1222,    1222
 कभी हँसती नहीं होती कभी रोती नहीं होती ।
न पलता प्यार जो दिल में तो यूँ खोती नहीं होती।

तुम्हीं बोलो तुम्हारे बिन जिया जाए पिया कैसै।
नयन में ख्वाब  कोई भी बोती  नहीं  होती ।

विना तेरे अधूरी हूँ  जो पूरी मैं  होती  तो इस।
जुदाई में मिलन का हार यूँ पो ती नहीं होती।

 जो मेरा प्यार जानेमन अगर सच्चा नहीं होता।
बिछुड़कर इस तरह तन्हा सफ़र ढोती नहीं होती।

 समन्दर जैसी गहराई मुहब्बत में न होती जो।
तो फिर ये बूँद आँसू की कभी मोती नहीं होती।

 तुम्हीं को ढूँढ़ने जोगन बनी फिरती न गलियों में।
अगर इस मन के मन्दिर में जली जोती नहीं होती।

 हरिक शब तेरे विन मैने गुज़ारी तारे गिन गिन कर।
 कहाँ तब नींद आती संग जब सो ती नहीं होती ।

 कहीं मधुमास आये औ सजन यूँ ही चला जाये।
जो मन प्यासा नहीं होता धरा धो ती नहीं होती।

 नजर पथरा गई  है आस  में  तेरे  लिए  साजन ।
 अमामस को कभी पिय चाँद से दोस्ती नहीं होती।

No comments:

Post a Comment