रदीफ - नमक
काफिया - आ
2122- 2122- 2122- 212
प्यार मीठा ही रहे बस चाहिए थोड़ा नमक ।
दीद की दृग प्यास दिल मे यूँ बढ़ा देता नमक।
यार से यारी सफर भी खूबसूरत कट गया।
है मुहब्बत पाक दिल को बाँध के रखता नमक ।।
जिन्दगी में बिन नमक होता गुजारा ही नहीं ।
नैन जल में भी मिलाया ईश ने खारा नमक ।।
दीन को रोटी मिले खाता बड़ा ही प्रेम से ।
थाल में सब्जी नहीं बस डाल वो लेता नमक।।
सार जीवन तत्व हो नमकीन दिल सबका उषा ।
बिछ जगत जाता उन्हीं पर,हर जिया भाता नमक।।
स्वाद भोजन में बढाता मात्र चुटकी भर ही ।
ध्यान रखना भोज्य में डालें नहीं ज्यादा नमक।
चीज है यह काम की कीमत बड़ा अनमोल है।
मोद दिल में हो जुबां पर हो उषा घोला नमक ।।
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