Thursday 5 November 2020

दुहिता अपमान नहीं सहना

आयोजन- तोटक छंद वर्णिक 02
दिन - गुरूवार 
दिनांक-15.10.2020
मात्रा - 112  112 112 112
 
मन आहत   देख अधर्म मही ।
कलि मर्दन से नित आँख बही।।
नित घात लगा रिपु जो  छिपता।
उर मूक सदा, कलि क्यों  छलता?

 पितु मात अचंभित से वसुधा ।
जग में कलि जीवन क्यों समिधा ।।
अरि  शील हरे डर में  ममता ।
सुलगे मन देख  सदा  दुहिता ।।

बन रावण दुष्ट सिया हरते  ।
कलि के मन घायल वो करते ।।
धरती  अवतार उमा धर लो ।
 जननी खल नाश धरा कर लो   ।।

जब हो कलि मर्दन दंड मिले।
रिपु शीश नहीं अब काल टले ।।
दुहिता अपमान नहीं सहना ।
बन अग्नि शिखा नहीं जलना ।।

उषा झा -स्वरचित 
देहरादून - उत्तराखंड

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