Thursday 5 November 2020

रिन्द शर्मिन्दा

प्रदत्त बह्र पर ग़ज़ल सृजन:-२१
प्रदत्त बहर:-  बहरे-रजज़ मसम्मन सालिम
मसतफ़इलुन मसतफ़इलुन मसतफ़इलुन मसतफ़इलुन
मापनी:-  2212  2212  2212   2212                 
दिन:- बुधवार
दिनांक:- 28/10/2020
रदीफ़- किस बात का
काफ़िया- 'अ'
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2212       2212        22 12       2212 
    
 बेईमान जो भाई, मिले आदर उन्हें अब किस बात का ।
 बदनाम जब हो ही गया तो लाज फिर किस बात का।।

नंगे सभी रिश्ते दिखे अब प्रेम जग में खोखले ।
झूठे लगे हर आदमी, पिघले हृदय किस बात का ।।
 
देखो  मुखौटे में  छिपे  दानव  करे  हैं  तांडव ।
जो भेडिया हो कुटिल, उम्मीद मन किस बात का ।।

करता नहीं कोई भला, पर डींग ज्यादा  मारता ।
उपदेश वो छाँटे सभी पर, नित्य दिन किस बात का ।।

जब नैन के सब ख्वाब टूटे राख में हर ख्वाहिशें ।    
सुन रिन्द शर्मिन्दा सदा ही, बोल तुम किस बात का।।

#उषा #की #कलम#से  
देहरादून

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