Tuesday 2 February 2021

याद

स्मित मुस्कान अधर देकर विदा साँझ
एकाकी जीवन बस सुधियों की आँच।
स्निग्ध स्नेह की आभा फैली क्षितिज।
मेघ आसाढ का निर्झर झर रहा आज।

ओसारे पर लेटे रूग्न तन सोच रहा ।
हृदय विषाद घनेरे ये मीत लगे बदरा ।
जैसे हृदय टीस ले उमड़ घुमड़ रहा।।
भावित स्वप्न विहृवल मन कर रहा ।।

आकुल दादूर प्रेयसी को पुकारता ।
विरह व्याकुल मोर वन में नाचता ।।
प्रिय संदेश लिए चंचल बदरा बरसता।
अंतस् में मृदुल स्मृति हृदय मचलता ।

घन गर्जन से कम्पित उर वसुधा के ।
उतरे गगन लिए शत धार सुधा के।।
मृदुल राग अब श्वास श्वास में घुलती।
मंद सुगंध तन मन प्लावित वसुधा के।

सावन भादव मन सुकोमल भाव भरे ।
विरही उर एकाकी आहत अलाव जरे ।।
चपला चमकी पल भर को आस सजी
सूखे उर में प्रतिपल बस प्रेम जलाव भरे ।

*उषा की कलम से*
देहरादून

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