गीत
सूना आँगन किलकारी से, मुदित हुआ।
एक सितारा पाकर आँचल , शुचित हुआ।।
मीठी लोरी सुनकर जिसको , नींद लगे।
उन्हें देखने , मातु पिता के , नैन जगे।।
थपकी देकर आँचल में जो , सबल हुए ।
जिम्मेदारी ,से वही पूत , मुकर गए।।
गुमसुम माता , पितु उदास नित ,व्यथित हुआ ।
पाकर आँचल .....
पुत्र बिना अब, प्यासी अँखिया तरस रही ।
ममता मोती नित बरसाती, बिलख रही ।
उन बिन जीना, मुश्किल लगता , छोड़ गए ।
मातु पिता से रिश्ते क्यों कर , तोड़ गए ।।
ठूठ साख हैं ,कब वो पुष्पित ,फलित हुआ ।
पाकर आँचल एक....
सूना आँगन, खटिया माली, विकल हुए ।
हैं बेगाने, छाँव नेह के, विलग हुए।
क्यारी सूखी, उन बागों की , नीर बिना ।
टूटी लाठी,देख कमर की ,धीर बिना ।
किया उपेक्षित संतति क्यों कर ,भ्रमित हुआ ।।
सूना आँगन, किलकारी से, मुदित हुआ
पाकर आँचल एक सितारा , शुचित हुआ।।
*उषा की कलम से*
उषा झा देहरादून
No comments:
Post a Comment