मिसरा - नहीं पूछो कहाँ हूँ मैं जहाँ तुम हो वहाँ हूँ मैं
पूजा रानी सिंह
काफिया - आ
रदीफ - हूँ मैं
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मतला
बनी हर जन्म महबूबा सनम सुन हमनवा हूँ मैं ।।
भुला दो तुम मुझे बेशक सुनो तेरी बला हूँ मैं ।।
बड़ी आशा भरी नजरे निहारे राह अब तेरी ।
चले आओ सनम अब तो बता क्या बेवफा हूँ मैं ।
हमारे संग जब हो तुम खिलेंगे फूल गुलशन में
बडी नेमत खुदा बख्शी सुनो मैं मरहवा हूँ मैं।।
बता क्यों होश गुम तेरा लुभाया रूप क्या मेरा
यही समझो सनम सबसे बडी ही अलहदा हूँ मैं ।।
मुह्ब्बत जब छुपाते तुम बडी मासूम लगते हो ।
सुनो हर राज से पर्दा हटाती जलजला हूँ मैं ।।
बडी अरमान से घर को सजाया टूट गया रिश्ता ।
नहीं शिकवा किसी से आज किस्मत से खफा हूँ मैं ।
फिसल सब वक्त जाता जब तलक हमको समझ आता ।
उषा डर ये लगे अब इस जहाँ में इक सजा हूँ मैं ।।
*प्रो उषा झा रेणु*
देहरादून
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