Friday 7 May 2021

मनभावन उपहार

विधा - हंसगति छंद ( मात्रिक)
20 मात्रा
 11/9 पर यति

➖यति से पहले 21 यति के बाद
त्रिकल ।

मन भावन उपहार ,शुचि मिलन सजना ।
सावन आये द्वार, विलग मत रखना ।।
       
जीवन तुमको सौंप ,मुदित उर मेरा  ।
आनंदित है गेह , लगे पियु फेरा ।।
पावन अपना प्रीत, युगो उर डेरा ।
 साजन सच्चा मीत , स्वप्न दृग घेरा ।
बरसे छम छम मेह, तुम्हीं पर मरना
सावन आये द्वार , विलग मत रखना ।

मुश्किल में भी साथ ,सदा तुम देना ।
नैया हो मझधार , थाम कर लेना ।।
भोली हूँ मैं भूल , माफ तुम करना ।
 प्रियवर मेरे आप , हृदय में रहना ।।
  सूना लगता गेह , कहाँ हो ललना ।
मन भावन उपहार,शुचि मिलन सजना ।।

आज तलक उर याद , प्रणय की रैना ।
कम्पित है मम गात , जाग ते नैना ।
शुचित वरदान प्रेम , पुनीत हमारा ।।
रख ली हूँ संभाल , सौगात प्यारा ।।
पुलकित जीवन शाम , हर्ष नित भरना ।।
मन भावन उपहार , शुचि मिलन सजना ।।

लाली मेरी माँग , सदा सजी रहे ।
पायल बिछुआ पाँव , मधुर प्रीत गहे ।।
अंजन अलकित नैन , नेह रस छलके ।
कुंतल कजरा डाल , हृदय कुँज महके ।।
प्रीतम भर लो बाँह , मोद मृदु बहना ।।
मन भावन उपहार , शुचि मिलन सजना ।



प्रो उषा झा रेणु
देहरादून

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