Friday 1 September 2017

रूत का पैगाम

शोख चंचल पवन इत उत डोल
 मेरा आचंल लहरा मन को उड़ा
लिए जाए पिया के देश ..
ये रूत तेरे आने का पैगाम दे रहे ..
 
बागों में चटकती कलियों से
भीनी भीनी खुशबू महक रहे
भंवरे की गूँजन कर रहे मदहोश ..
ये रूत तेरे आने का पैगाम दे रहे ..
 
मोर होकर विभोर नाच रहा
पपीहे का मधुर संगीत कानों में
मिश्री घोल, दे रहा पिया का संदेश  ..
ये रूत तेरे आने का पैगाम दे रहे ..

अब आ भी जाओ पिया 
रह रह के जाऊँ पंथ निहार 
मैं कब से खड़ी हूँ तेरे आस ..
ये रूत तेरे आने का पैगाम दे रहे ..

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