Wednesday 6 September 2017

अस्तित्व

जीवन सफर में बढ़ता हुआ कदम
किसी हमसफर का न हमकदम
ढूंढना ही होगा खुद का अस्तित्व
राहों की दुश्वारियों को करते हुए अंत
मन चल ढूंढते हैं अपनी मंजिलों को ..

जीवन सफर में कारवाँ हजारों
देते नहीं साथ राहों में कोई रहगुजर
अकेले ही चलना है खुद का डगर
अपना निशाना टिकाके लक्ष्य पर
मन चल ढूंढते हैं अपनी मंजिलों को ..

रिश्ते नाते की बगीया है जीवन के शोपीस
मुश्किलों में आगे न आते देते न कोई साहस ..
हिम्मत से ही दुख की बदलियों से निकलते 
सुख के सूरज की रौशनी जीवन में बिखेरते
मन चल ढूंढते हैं अपनी मंजिलों को ..

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