विधा-राधिका छंद
ओ मेरे बैरी सजन ,पीर न बढाओ 1.
कर रही हूँ याद तुम्हें, दरश दे जाओ
आस में जी रही सनम,तुम बिन अधूरी
हो जब भी मेरा जनम,मिलन हो पूरी
बीच मझधार में घिरी, सुनो तुम पुकार 2.
जीवन धारा में फंसी, करो बेड़ा पार
निश दिन करूँ अराधना,द्रवित न कर हृदय
तुम बिन बनी हूँ जोगन, दे मुझे आश्रय
आजा परदेशी प्रियम, बढ़ा न अब विरह 3.
तुम बिन अब कौन मेरा, बंधी प्रेम गिरह
दिवानी बन गई पिया ,,,प्यार में मरती
हर जनम तेरे वास्ते, नेह संग जीती
नैया मेरी भंवर में, डूब रही कहीं 4.
थाम ले डोर धैर्य का, पार करे वही
आश्रय तेरा ना मिले, है मेरा मरण
भगवन कर मुझ पे कृपा,हूँ तेरी शरण
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