Sunday 16 September 2018

सोहबत

उनके नजर में न हो अहमियत क्या करते
हमारी कुर्बानी की न दे कीमत क्या करते

 दिल के खजाने के थे तुम नायाब कोहिनूर
 संभाल न पाई अपनी ही दौलत क्या करते

कर दिया था मैंने खुद को तुझ पे ही निसार
तुझे साथ रहने की न थी चाहत क्या करते

सोचा न था तुमसे जुदा हो के यूँ जीना पड़ेगा
तुम्हें थी ही नहीं कभी मेरी जरूरत क्या करते

 तुझपे हमने अपनी दुनिया ही लुटा दी थी
 तुम मुझसे करते न थे मुहब्बत क्या करते
 
 परवाह न उसकी जो मिल जाए आसानी से
 लुटा दो जां फिर भी दे न इज्जत क्या करते
   
  मुहब्बत का भूत जब  दिल से उतर जाता है
  कलई खोल दे सबके असलियत क्या करते

  किसी के वास्ते चाहे अपनी हस्ती ही मिटा दो
  बेवफा सनम की बदलती न आदत क्या करते

  वश में नहीं किसी के, इश्क के एहसास छुपाना
  हालात से ही बयां हो जाता हकीकत क्या करते

  सोचा था तेरे संग अपना जीवन संवारा करूँगी
  मेरे नसीब में पर तेरा न था सोहबत क्या करते

   एहसास न हो जब दिल में किसी के भी वास्ते
   प्रेम की उम्मीद बेकार है जज्बात क्या करते

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