Friday 16 November 2018

खिले प्यार के गुल

नयन तेरे लगे हैं पुष्प कमल 
देख कर मन में बजे पायल

मखमली बोल छूते हृदय तल
मद भरी आवाज की हूँ कायल

बिखरे जब जब रेशमी जुल्फें
लगे घिर आए हैं घने बादल

तेरा उन्नत मस्तक जैसे चंदा
दिवाना दिल भी गया मचल

अब मेरी दुनियां तुम्हीं से है
हूँ मैं तो तेरे प्यार में पागल

तुम्हारे संग मैं तो निखर गई
तुझे पाके झुमे खुशी से दिल

लबों पे देखकर तेरी मुस्कान
मैंने खोया चैन मन है घायल

मुझे जबसे तुम तन्हां कर गए
करती रहती मैं याद पल पल

कोई तुझसा नहीं लगे जग में
जाए दम तेरे बाँहों में निकल

मेरा जीवन हो तेरे पनाहों में
यूँ ही खिलते रहे प्यार के गुल

तुझसे जुदा मैं न रह पाऊंगी
बिन तेरे होगा जीना मुश्किल 

No comments:

Post a Comment