विधा- गीत
प्रभु जी तुम कितने ही गम दोगे
कर्मों से अपने नसीब बदल देंगे
तन ढकने को हमें वस्त्र नहीं
खाने को घर में मिले रोटी नहीं
अपने भाग्य को खुद बनाउगाँ
खुशियों से जीवन सजाऊँगा
हँसते हँसते ही गम को पी लेंगे
कर्मों से अपने नसीब बदल देंगे ...।।
करनी पड़े बचपन में मजदूरी
जिन्दगी में है कितनी मजबूरी ,
मुश्किल को धूल चटाऊँगा ।
मै तो अपना फर्ज निभाऊँगा
जीवन की विसंगतियाँ भूला देंगे,
कर्मों से अपने नसीब बदल देंगे.. ।।
वंचित हूँ हर एक सुविधाओं से
सरकारी स्कूल में पढूँगा मन से,
शिक्षा का मशाल जलाऊँगा ।
उँचे पद को हासिल कर लूँगा
करेंगे सब फक्र ऐसे चिराग बनेंगे,
कर्मों से अपने नसीब बदल देंगे ।।
धनिकों का वर्चस्व मिटाकर
मेधा से जाऊँगा शीर्ष पर
जन जन होंगे गर्वित मुझपर ।
ऐसे सच्चे प्रहरी बनूँगा
देश के हित में मर मिटेंगे ,
कर्मों से अपने नसीब बदल देंगे ।।
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