Sunday 25 November 2018

काल के पद चाप

विधा-कुंडलियां   

आना शिशू का भूमि पर , भरे प्रेम उर भाव  3.
 लोग बधाई दे रहे  ,,,, पले  नेह  की  छाँव
पले नेह की छाँव ,     सभी अह्लादित होते
हँसकर सभी गुजार ,   यहाँ पर जीवन लेते,
 कठिन टालना मृत्यु  ,,,,,सत्य है जग से जाना
 कर चल ऐसे कर्म ,,,,, पड़े फिर लौट आना

मनुज पहन चोले नए  ,आता है संसार
निभा कर फर्ज अपना ,, जी लो तुम किरदार
जी लो तुम किरदार,,कर्तव्यों की राह पकड़
दया धर्म  है पूजा,,, लालसाओं में न जकड़
दो दिनों का मेला जग , जी लो खुशियों से आज
आ के धरा पर तुम , कर कुछ नए काम मनुज

रिश्ते में उलझा रहा ,   राग द्वेष में जीवन
दौलत में फंसा मन, माया न छोड़ रहा तन
माया न छोड़ रहा तन ,छोड़ अब सारे झंझट
सुन लो अब आ गए  ,  काल के पद चाप निकट
आत्मा कराह रही,,,,, मूढ़ क्यों मद में जीते
 विदा के पल भी ,,,,,, छुट  न  पाते  रिश्ते

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