भाषा-- मैथिली
रहि रहि मोन पडैये
अप्पन मिथिला गाम
मिठगर बोली सुनैय
लेल कान ललाबैये
ओ आमक गाछी मे
टिकोला चुननाय
आ सखी संग अंगने अंगने
छीछयौनाय सब मन परैये
ओ आमक बाड़ी मे
ओगरहवाक मचान
पर नून ब्लेडक संग
टिकोला क पतासी खेनाय
ओकरे घैयला सँ पानि पिनाय
सब किछु मन पडैया
सखी संग नैना में
गामक गली गली
दौडनाय मन पडैये
अंगने अंगने नवकनिया
देखऽक उल्लास
माछक झोर,माझक चोखा
बाड़ी क साग तिलोकडक
तरूआ लेल जी ललचैयये
अम्मट के स्वाद आब ओ कहाँ
गामक रस आब ओ कहाँ
पोखरी मे लऽ केराक डोर
तैरय में सखी संग होड़
खेत खलिहानक
सरसों तिसीक फूल
देखि मन केतक
लुभा जायत छल
आययौ मन तरसैये
माटिक महादेव
दसमी में बनाबऽ
के कम्पीटीशन
कार्तिक मास मे
तुलसी लग दी
अनगिनत जरेनाय
समृति पटल पर
एखनौ सब किछु
विद्यमान अछि
सामाचकेबाक गीत
गुनगुनाबऽक काल
दूई बूँद अश्रु आखिं सऽ
सब साल ढलकि जाययै
अप्पन संस्कार अक्षुण
एखनौ धरि राखनै छी
मुदा बच्चा सब के वो
पावैनक अनुराग
मूलभूत संस्कृति सऽ
परिचय देबाक अकथ
प्रयत्न में समय बितैयये
उषा झा (स्वरचित)
उत्तराखंड (देहरादून)
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