विधा- -दोहा
धोखा रिश्तों में सभी ,,,खून नहीं हैं पाक
खंजर भोंके पीठ में ,,करता रिश्ता खाक
मीठी मीठी बोल ही ,,,छलिया का है शौक
आता हितैषी बन, घर ,,घुमे बेरोक टोक
करीबी देता धोखा ,,, आँखें अपना खोल
जहर मीठा जीवन में,,,,दुष्ट रहा क्यों घोल
चरित्र हंता खास हो,,,, किस पर करें यकीन
सुरक्षित न सुता घर में ,,,, बने अपने रकीब
अविश्वास से सब डरा ,,सगा दिल रहा तोड़
धोखेबाज जाने कब ,, देता जीवन मोड़
आम जनता पीड़ित हैं ,,,, नेता बोले झूठ
काम ठगना बहलाना ,,,, उन्हें वो रहे लूट
करे वादा रोज नया,,,,बना सबों में पैठ
मारता गरीब का हक,,बनता धन्ना सेठ
घर बर्बाद हो जाता,,,, करे अपने फरेब
हिले सिंहासन छल से ,,,करता न माफ देव
प्रभाव अधर्म का बढ़ा ,,डूब गया संसार
अस्मिता छीन नारि की,,होता न शर्मसार
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