कुछ यादें दिल में ही दफनाने के लिए हैं
शायद वो रिश्ते बने आजमाने के लिए हैं
जमाने भर का गम दफना रखा है सिने में
आके देख ले कई जख्म दिखाने के लिए हैं
जाने किस बात की सजा दी क्यों भूल गया
डूबी विरह में तन्हाईयाँ तो सताने के लिए हैं
ये जिन्दगी अब तो उनके रहमो करम पे
टूटे न दिल, मुहब्बत तो निभाने के लिए हैं
इन्तजार में कट जाती है मेरी सुबहो शाम
अब तो ये दर्द सारी उम्र तड़पाने के लिए हैं
तेरा इश्क ने छिन लिया है मेरे सारे ही सुकून
एक झलक काफी कहर बरपाने के लिए हैं
प्रीत की बूँदे अब बरसा देना भींगे पलको पर
जीवन के खुशनुमां पल होते इतराने के लिए हैं
No comments:
Post a Comment