Thursday 11 October 2018

क्षणिका

*रिश्ते *

रिश्ते की गहराई
परत दर परत
खुल ही जाती है ।
हकीकत के सरजमीं पर
वास्तविकता का पता
चल ही जाता है ।
झूठ और अविश्वास
की नींव हो तो
रिश्तों के महल को
 टूटने में देर नहीं
 लगती है...।
मन में ही गर खोट
हो तो चाशनी में डूबे
रिश्ते भी बिखर जाते हैं ।

*मुहब्बत *

अपने लिए सभी जीते
कभी गैरों के लिए भी
दिखा मुहब्बत...।
तो  समझोगे ! किसी पे
स्नेह और प्रीत लुटा के
कितना सुकून मिलता ..
है परिभाषा  प्रीत की रीत
पहले त्याग दिखाते
तो बदले में वो जान देते
किसी के गमों को बाँटना
और बेबसी में साथ निभाना
ही मानव जीवन की
सार्थकता है...।

*विश्वास *

विश्वास ही है जो
अंधकार में प्रकाश
जड़ को भी चेतन
बना देते हैं ...।
विश्वास ही ईश्वर के
अस्तित्व को स्वीकार्य
बनाते हैं ...।
विश्वास ही हर रिश्ते
की नींव है...
इसे किसी तराजू में
तौलना असंभव है ।

*मौत*
नन्हें नन्हें पग से  चलते रहे
पथिक मिलके बिछुड़ते रहे
राहों में ...
रह गए खाली हाथ लेके
जीवन के मेले में ..
जाने वाले चले जाते
देकर कई अमिट याद..
दरवाजे पर खड़ी है मौत
चलता कहाँ किसी को पता
कर जाते हैं हतप्रभ
और विस्मित सबको

उषा झा (स्वरचित

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