Wednesday 3 October 2018

अर्पण

विधा-हरि गीतिका

1.बंसी बजे जब घनश्याम की,अरमां नेह की जगे
     छोड़ मोह माया की बंधने, श्याम रंग में रंगे

2.जन्म सफल हो तब हरिहर, दरश जो तुम दे मुझे
     चरण रज की धूलि लेकर, पूँजूँ दिन रैन तुझे

3.मीरा नेह में छोड़ी महल,कृष्ण मय जगत दिखे
   जो प्रेम से तुझे पुकार ले, तुरंत वशीभूत दिखे

4.रास रचाते गोपियों संग, चितचोर कहते सभी
   राधा कृष्ण के प्रीत अमर, ब्रजवासी मगन तभी 

5.काम क्रोध आसक्ति में रमा, मन करो अब साधना
   बीच भंवर में डूबे नैया, पार लगा न मोहना

6.मेरा न कोई दूजा कान्हा, न्योछावर सब तुझको
   अर्पण करूँ मन प्राण देके , संवार दो जीवन को

7.आकंठ में कब से डूबी हूँ, ले लो तुम शरण मुझे
 सखा अब मुझे बना ले श्याम , वार दूँ जीवन तुझे

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