Tuesday 2 October 2018

बेटी है गहना

देख जमाना बहुत खराब है,मेरी  प्यारी बहना ।
 घर के बाहर देर रात तक, नहीं अकेली रहना  ।।

भेष बनाकर बहुरूपिये,  बाहर घूमा करते ।
मीठी मीठी करके बातें,  मन में झूमा करते ।
फँसी किसी के चुंगल में तो,पड़े बहुत कुछ सहना
घर के बाहर देर रात तक, नहीं अकेली रहना

बचपन में दिए संस्कार को तू रख ले संभाल कर
किसी के घर की आबरू हो हरदम ये याद कर
पढ़ लिखकर तुम अपने कुल का मान बढाना
घर के बाहर देर रात तक नहीं अकेली रहना

राह में मिले कितने ही कांटे तू चलना संभल के
दुष्ट घात लगाए बैठे हैं, उनसे रहना बच बच के
दिखाना आईना उसको,खुद पे भरोसा न खोना
घर के बाहर देर रात तक नहीं अकेली रहना

फुर्सत जब भी मिले तुम्हें ,आना घर लेके मुस्कान
माँ पापा की नैनों की तू ज्योति हो उनकी धडकन
खुशियाँ मिले भरपूर तुम्हें उनका यही है सपना
घर के बाहर देर रात तक नहीं अकेली रहना 

कदम कदम मिला के चलती रहना तुम जमाने के
अपनी संस्कृति को न भूलना आधुनिकता में बहके
मर्यादा सीमा का उल्लंघन बहना कभी नहीं करना
बहना तुम तो हो हम सबके घर की गहना...

देख जमाना बहुत खराब है, मेरी प्यारी बहना ।
घर के बाहर देर रात तक नहीं, अकेली रहना ।।

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