Friday 12 October 2018

भक्षक

विधा  बरवै छंद

गर्भपात करवाया ,बेटी भार   ।     1.
देख दुर्दशा ऐसी  , उर  लाचार  ।
तार तार इज्जत से ,वो गई हार  ।
हुआ जमाना वहसी , है बेकार    ।

जब माली ही उजाड़, दे स्वयं बाग   ।
खिले कैसे कली.. हो, दिल में दाग    ।
रक्षक बन जाए भक्षक, सुता अधीर   । 
उपेक्षित अस्तित्व से , बहाती नीर   ।

अब न सहेगी बिटिया, ओछी सोच  ।     3.
करे स्वयं  की रक्षा, आंसू  पोंछ ।
थोपे अपनी मर्जी, कर प्रतिकार।
तमस भरा जीवन , हो उजियार  ।

बस इतनी सी चाहत, दे सब मान    ।   4.
हो न भेदभाव मिले , अब पहचान     ।
नभ में  विचरण करे, बन परवाज   ।
तारे तोड़, करेगी , वो आगाज     ।

     

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