Saturday 14 September 2019

शिक्षा अज्ञानी कर में

विधा - राधिका छंद 13/ 9

अशिक्षित गुरु से न मिले , ज्ञान की भिक्षा ।
कई स्कूल भी खुल गए , कौन दे शिक्षा ।।
आज अर्जुन तरस रहे , मिले द्रोण नहीं ।
हुए समाज दिशा हीन , दिखे कृष्ण नहीं  ।।

दिखता एकलव्य नहीं ,कहाँ शिष्य वो ?
गुरु बिना धनुर्धर हुए ,मान दे गुरु को  ।।
गुरु शिष्य परंपरा खत्म , नहीं गुरु वैसा ।
वेतन से नाता सिर्फ  , दौर ये  कैसा  ।।

शिक्षा अनपढ़ के हाथ  ,भाड़ फोड़  रही ।
अगर हो कमजोर नींव , बने महल नहीं ।।
फर्जी डिग्री से चले , आज स्कूल सभी ।
नित्य खिचड़ी पका खाय, रहे गुरू अभी ।।

भले बच्चे पढ़े नहीं , अंक हो बढ़ियाँ  ।।
यही इच्छा लील गई , फिजुल की खुशियाँ ।।
कैसे शिक्षा की दशा,,देश की सुधरे ।
कोई तो सवाल करे , आह अब न भरे ।।

उषा झा (स्वरचित )
देहरादून( उत्तराखंड )

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