शिव ताण्डव करने लगे ,
रूप हुआ विकराल ।
राख सती जब हो गई
बने शिव महाकाल ।।
दक्ष हुए भयभीत तब
रूप देख नटराज ।
थे आतंकित देव गण
प्रलय करे शिव आज।।
माँ के भक्त गणेश जी,
रोका शिव को,द्वार
किया अलग धड़ पूत का
क्रोधित हुए अपार।।
धूँ-धूँ लंका जल रही,न
दृश्य बड़ा विकराल।
करके रावण, सिय हरण
बुला लिया निज काल
दुर्गा माँ क्रोधित हुई ,
असुर करे आघात
महिषासुर को ,चीर कर,
किया बहु रक्त पात।
चीर द्रोपदी हरण से, बहे रक्त थे युद्ध ।
हुआ महाभारत फिर ,पाण्डव बहुत थे क्रुद्ध ।।
पापी शीश चक्र चले, कहे प्रभु मनुज भार
जब मामा कंस बनते, श्री कृष्ण ले अवतार ।
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