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बरसों पहले
मेरे घर आई
मेरी दूसरी परी
आई थी वो
दस साल बाद
हम सभी
बहुत खुश हुए
मेरे पति ने सभी को
मिठाईयाँ बाँटने
और रूपये देने
हास्पिटल के
स्टाफ को बुलाया
ये क्या सबके चेहरे
मुरझाया था ..
रहने दो साहब
दूसरी बेटी ही हुई ..
मेरे पति ने डाँट लगाई
मेरे घर आई लक्ष्मी
ऐसी बातें दुबारा न कहना
उन्होंने समझाया
हास्पिटल से
मैं मायका आई
अपनी माँ के साथ
आपरेशन के बाद
बच्ची को इन्फेकशन
हो गया था
बड़ी मुश्किल से
नन्ही मेरी बची थी
मेरे लिए वो
किसी बेटे से
कम नहीं थी ..
पर ससुराल वाले
आहत थे
क्योंकि तीसरी
पोती हो गई
एक देवर के
और एक मेरी ..
समाज के लोग
बोल रहे थे
सास ससुर को
पोते देखना
नसीब में नहीं
अब आपका
दो महीने बाद
मेरी देवरानी
को पुत्र रत्न
प्राप्त हुआ
बहुत खुश हुए
मेरे ससुराल वाले
जेवर कपड़े मिठाईयाँ
सब लेके गए
देवर के ससुराल ..
बड़े लाड़ से वो
पोते को कुलदीपक
कहके बुला रहे थे
मेरे मन में कुछ
पिघल रहा था
बच्ची की अनदेखी से
मैं पिड़ित थी
खैर हम सक्षम थे
अपनी बच्ची की
सुंदर परवरिश के लिए
आज मेरी परी
इनजियरिंग
इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रीम
से पूर्ण कर
गेट की तैयारी
कर रही है
अपने यूनिवर्सिटी में
मेरी बिटिया टाॅपर थी
और कुल दीपक कुछ
बन न पाया
शायद कहीं एडमिशन
दिलाया जाएगा
Wow .. mummy .. heart touching.. thankyou so much
ReplyDeleteThanks a lot beta
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