समझोता बिन जीवन
कभी न होता संपन्न ।
परिस्थितियों के सामने
लाजिमी नतमस्तक होना ।।
कल्पना भी नहीं करते
आ जाती ऐसी परिस्थिति ।
जिन्दगी कई इम्तिहान लेती
कभी परिवार कभी बच्चों या
जिविकोपार्जन की खातिर
करने ही पड़ते समझोते ।।
सफल विवाह का आधार
एक दूसरे से सामंजस्य बैठाकर।
खुद के अस्तित्व मिटाकर
चुप रहते सामंजस्य के खातिर ।।
सहनशीलता का लाभ
उठाते हैं लोग कभी कभी ।
आत्मसम्मान पे न हो आघात
तब तक है जरूरी समझोता ।।
सामंजस्य सही पर गुलामी
असहनीय वेदना ।
सामने वाले की गलतियों
पर जरूरी प्रतिकार करना ।।
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