देकर कितनी यादें बीत गए फिर से ये साल
तमन्नाओं की पिटारे लेके आ ही नए साल
एक एक क्षण जीवन के हम सबके चुराकर
तीव्रता से बीत ही गए बरस, नए तजुर्बे देकर
मंजिल की चाह में चलते रहे राहों में अकेले
छुट गए अपने जिनके अंगुली को पकड़ चले
कितने यादें व मुलाकातें, कई आदतें व वास्ते
अनकही खुशियाँ व गम न भूलने वाली दे बीते
सुखद अनुभूति कभी किया रोमांचित जीवन को
कभी अवसाद ने शिथिल कर दिया मेरे जीवन को
कितने ही अरमां दिलों के पूरे हुए गुजरे सालों में
रिश्तों के रंग दिखे, बूँद स्नेह के भी गिरे आँचल में
अंजाने शहर में मिले कई चेहरे, बने खास दिल के
अपनों ने दी शिकस्त, कर गए वो टुकड़े दिल के
रब ने दी सौगात हमें खुशियों की गुजरे सालों में
अरमानों की झोली पर भरती नहीं कभी दिल में
नूतन वर्ष भी लेके आ जाए ख्वाबों के हजारों रंग
बैर मिटाकर दिलों से, हृदय में भरे प्रीत के रंग
No comments:
Post a Comment